Monday, December 5, 2011

आर या पार.................!

उठो जागो वीर जवानो मातृभूमि पुकार रही है........!

उठाई है मां पे पाकिस्तान ने आंख भारत माता शरमा रही है.....!



तुम्हे ही बनना होगा आझाद, भगतसिंह और अशफाक,

धूल में रोंद डालो याततायीओं को चाहे जरदारी हो नवाझ!



शरीफ ने बु्लाया लाहोर सफर करने को और बदले मे दिया था कारगिल,

मुशरफ ले आया था कबूतर, करने को प्रेमालाप अमर प्रेम कृति के स्थान पर!



ताज देखके ही "मुश" कर के ही गया था फैसला करेगा वो हमला,

आदर्श लोकशाही के प्रतिक के स्थान पर!

वो तो ले आया था अपनी झोली मे मानव बम शंति के संदेश के नाम पर!







"नेताजी" तो कभी नही जागेंगे, वो तो सच्चाई से दूर ही भागेंगे........!

रहती है उन्हें देश से ज्या दा सिया सत की चिंता........................!

खायेंगे वो तो ताबूत मे भी "कटकी" और जलाते रहेंगे हर दिन मासूमों की चिता!



हे हिन्दूस्तान अब तुम्हें जगना ही होगा.......!



कुंभकर्ण बन के बहुत सो लिया है तु.........



और दासीपुत्र बहुत पैदा कर दिया है तु..........





तुझे अब तो पैदा करने पार्थ को पैदा ही करना होगा.........!



तुम्हें ही राम और कृष्णा बनना होगा.......!



तुझे ही पैदा करने होंगे विवेकानंद और अरर्विंद.......... !



यदि देखना चाहते हो यदि, मां का हंसता हुआ मुखार्रविंद.....!







याततायी और त्रासवादी खिंच रहे हैं हर रोज भारत माता के चीर!





हिन्दूस्तान के जवान अब तो दिखा ना होगा तुझे अपना खमीर!









देश प्रेम की ज्वाला ओ तु अब बुझने ना दे,



खट्टॅ कर दे तु तो अब दुश्मन के दांत...........!



द्रौपदी की तरह ही दुश्मनो ने जकडॅ भारत मां के बाल,



बन जा तु तो अब कुंती पुत्र भीम और तोड दे अब तो तु पाकिस्तान की जंघा!



बहोत बहा है खून मासूमों का कन्याकुमारी से लेकर कंचनजंघा............!



रंग दे तु दुश्मनो के खून से भारत माता के खूले हुए बाल.......................! (बिखरा हुवा कश्मीर...!)







मातृभूमि पुकार रही है तुझ को, रो रही है वो कुरु सभा मे बिलखती पांचाली की तरह!



कश्मीर और देश को अब तो बचाना होगा तो कर ना होगा पकिस्तान को बरबाद...



कर दे मा की प्रतिज्ञा पूरी, रोंद डाल तु तो अब तो रावलपिंडी, लाहोर, करांची और ईस्लामाबाद!









दिखा रहे है वो हमें चूडियां, बता दे नहि पहनी है हमने चूडियां.....!



.............और याद करा दे उन को ,



1971में पांव में पडा था जब नियाझी........

मर्द नही सामने ही खडी थी देवी दुर्गा बन के,

भारत की ही सन्नारी थी वीरांगना ईन्दीराजी!

ईतिहास कैसे भूल गया हए वो बेवकूफ पाकिस्तानी काजी..?







सच ही कह रहा हुं मैं अब तो तु कर ही ले लडाई.....,

कर दे देश प्रेमी जनता को खुश.....!



तु जब उठायेगा शश्त्र पार्थ की तरह........

नही बचा पायेगा उनको उन का बाप ज्योर्जे बुश....!







भारत मा ने बहोत बहा लिया है अपनी आंखो से रक्त के नीर..........!



हो जा तैयार ओ हिंदूस्तान के जवान, चढा तु अपने गांडिव पे तीर......!







भारत मा की दुहाई है तुझ को, तोड डाल तु ईस्लामाबाद के द्वार!

जीत तो अब अपनी ही होगी, अब तो होना ही चाहीए आर या पार!





ये कविता मैने कारगिल लडाई के समय लिखी थी .........और जिस का पठन मैं ने जामनगर के AIR FORCE, NAVY & ARMY के मेरे मित्र जवानो का जोश बढाने के लिये किया था! पुनः मैने थोद लेट ही सही कारगिल शौर्य दिन के प्रसंग पर यहां प्रस्तुत कर के कारगिल के और देश के सच्चे हीरों को श्रद्धांजलि - विरांजली दे रहा हुं! और मेरे हिन्दुस्तान के देशप्रेमी जनता की राय ले रहा हुं कि सही मे कया हमे करना ही चा हिए अगली बार आर य पार..........?



कोपी राईट - कमलेश रविशंकर रावल by Kamalesh Ravishankar Raval on Wednesday, November 30, 2011 at 8:24am

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