Monday, December 5, 2011

नया दौर!

वो कहते हैं कुछ और करते कुछ और हैं!

बात नही हकीकत है ये, ये ही जमाने का नया दौर है!





हो गयी ईंतजार में शाम वो आ के बोले अभी तो भोर है!

सजी थी मेहफिल दोस्तों के नम पर यहं संगीत के नाम पर शोर है!





मोरनी तो नाच जाने ना, नाचता तो बेचारा मोर है!

करते हैं जब वो अमन की कोशिश चलता तब कत्लों का दौर है!



लोग मर रहे है भूखे -प्यासे वो कहते हैं ,

कोइ नही है भूखा हमें सब गौर है!



किस किस को जाके पूछोगे किसने ऊजाडा है चमन?

जहां बागबांन ही चोर है!





सूना की जन्नत्नशीन हो गये है वो,

कब्र में झांखा तो लेटा कोइ और है!





वो कहते हैं कुछ और करते कुछ और हैं!

बात नही हकीकत है ये, ये ही जमाने का नया दौर है!



कोपी राईट - कमलेश रविशंकर रावल by Kamalesh Ravishankar Raval नया दौर!
by Kamalesh Ravishankar Raval on Thursday, December 1, 2011 at 6:49am

No comments:

Post a Comment