Monday, January 2, 2012
फिर याद आ गया है कोई..........
लम्बी मुद्दत के बाद ख्वाब मे आज आया है कोई....
दिल के अस्पर्शी कोनॉ को आज चूपके से छू गया है कोई....
आई है ऋतु पिया मिलन की,
सजने की संवर ने की याद दिला गया है कोई..
गोरे गोरे मेरे हथेलीओ' पे मॅहदी रचाने की बात बता गया है कोई..
छाया हुआ था अंधेरा मेरे प्रेम के पावन पथ पर.....
बूझे हूए दिये की लौ अपनी स्पर्श से ही दो बारा जला गया है कोई.. ..
ले आया हए रसिया मोरा ऊजडे चमन मे बागे बहार फिर से......
मेरे जीवन की बगिया मे प्यार का गूल खिला गया है कोई..
बीत गये वो बदन जलाने वाली गरमी भरी लू के दिन.....
झूम चली है अब तो वो तन-बदन को छू लेती चंचल हवा ........
उस प्रियतम के स्पर्श की याद दिला गया कोई ...
लगती थी कर्कश आवाज कोयल की भी पहले तो....
आज उन के मीठे बोलो से शहनाई की गूंज सूना गया कोई ...
सून ले मैया मोरी , चंदा ने चून ली है उस की चकोरी....
मूंडेर पे कागा, गा के गया है गीत कोई ...
तैयार कर ले हल्दी चढानी की तैयारी भाभी मोरी.......
आज वही ख्वाब मे फिर याद आ गया है कोई..........
COPY RIGHT FOR THIS POEM @ कमलेश रविशंकर रावल
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